Pasmanda Muslims
1. क्या मतलब है 'Pasmanda Muslim' का?
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"Pasmanda" एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ होता है "पीछे छूटे हुए" या "शोषित वर्ग"।
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Pasmanda Muslims उन दलित, ओबीसी (Other Backward Classes) और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को कहा जाता है जो भारत में मुस्लिम समाज के निचले सामाजिक और आर्थिक तबकों से आते हैं।
2. कब और कैसे बना यह शब्द 'Pasmanda'?
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यह शब्द कोई धार्मिक शब्द नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई से जुड़ा शब्द है।
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1990 के दशक में यह शब्द भारत में लोकप्रिय हुआ, खासतौर पर जब मंडल कमीशन के जरिए OBC वर्ग के लिए आरक्षण की बात चली।
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Dr. Ejaz Ali और Ali Anwar Ansari जैसे नेताओं ने "Pasmanda Muslim Mahaz" जैसी संस्थाएं बनाई ताकि मुस्लिम समाज के भीतर भी पिछड़े वर्गों को पहचान और न्याय मिल सके।
3. भारत में मुसलमानों के सामाजिक वर्ग:
भारतीय मुसलमान तीन सामाजिक श्रेणियों में बँटे हुए हैं (हालाँकि धार्मिक तौर पर सब बराबर माने जाते हैं):
वर्ग | वर्णन |
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Ashraf | उच्च वर्ग: सैयद, पठान, शेख, मुगल आदि। मानते हैं कि वे अरब, तुर्क या फारसी मूल के हैं। |
Ajlaf | पिछड़ा वर्ग: कारीगर, बुनकर, दर्जी, कसाई, नाई आदि। ये समाज में OBC कहलाते हैं। |
Arzal | सबसे निचला वर्ग: मेहतर (सफाई कर्मी), हलालखोर, भंगी आदि — जिन्हें Dalit Muslims कहा जाता है। |
Ajlaf + Arzal = Pasmanda Muslims
4. क्यों बना 'Pasmanda Muslim' आंदोलन?
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मुस्लिम समाज में जातीय असमानता और भेदभाव को चुनौती देने के लिए।
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Ashraf वर्ग ने हमेशा से धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक सत्ता पर कब्जा बनाए रखा है, जबकि Pasmanda वर्ग गरीबी, अशिक्षा, और भेदभाव का शिकार रहा।
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ये आंदोलन कहता है कि "सिर्फ हिंदू समाज में ही नहीं, मुसलमानों में भी जातिवाद है" और इसे मिटाना जरूरी है।
5. Pasmanda Muslims कहाँ रहते हैं?
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उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड) में इनकी संख्या सबसे ज़्यादा है।
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पूरे भारत में मुस्लिमों की कुल आबादी का लगभग 80-85% Pasmanda है, लेकिन ये राजनीति और पावर में लगभग अदृश्य रहते हैं।
6. Pasmanda Muslims किसके लिए हैं?
यह आंदोलन और यह पहचान उन लोगों के लिए है:
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जो दलित और पिछड़े मुसलमान हैं।
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जिन्हें जाति आधारित और आर्थिक शोषण का सामना करना पड़ा है।
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जिन्हें शिक्षा, नौकरी, आरक्षण और सम्मान चाहिए।
7. क्या Pasmanda को आरक्षण मिलता है?
✅ OBC मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण (27%) मिलता है
🚫 Dalit Muslims को अभी भी SC आरक्षण नहीं मिलता, क्योंकि संविधान में Schedule Caste की परिभाषा धर्म आधारित है — जो कहती है कि सिर्फ़ हिंदू, सिख और बौद्ध दलितों को SC आरक्षण मिल सकता है।
⚖️ मांग चल रही है कि दलित मुसलमानों और ईसाइयों को भी SC का लाभ मिले।
8. Pasmanda का राजनीतिक महत्व क्यों बढ़ा है?
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राजनीतिक दल अब समझ रहे हैं कि Muslim Vote Bank कोई एकसमान समुदाय नहीं है।
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2023-24 से भाजपा सहित कई दलों ने "Pasmanda Muslims" को अलग पहचान देकर उनकी ओर ध्यान देना शुरू किया है।
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विपक्षी दल भी अब Pasmanda नेताओं को जगह देने लगे हैं।
9. Pasmanda आंदोलन के प्रमुख नेता कौन रहे हैं?
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अली अनवर अंसारी (बिहार) – लेखक, समाजसेवी, पूर्व राज्यसभा सांसद।
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इजाज़ अली (यूपी) – डॉक्टर, नेता, Pasmanda Mahaz के संस्थापक।
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तस्लीम रहमानी, शबनम हाशमी, और कई अन्य समाजसेवी और कार्यकर्ता।
10. क्या इस्लाम में जाति होती है?
नहीं।
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इस्लाम कहता है कि "सब इंसान बराबर हैं, अल्लाह के नजर में सिर्फ़ तक़वा (भक्ति) मायने रखती है।"
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लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम आने के बाद हिंदू जाति व्यवस्था का असर मुस्लिम समाज पर भी पड़ा, और यह सामाजिक भेदभाव आज तक बना हुआ है।
11. क्या Pasmanda शब्द से मुस्लिम समाज बँटता है?
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कई Ashraf वर्ग के लोग और कुछ धार्मिक नेता कहते हैं कि यह समाज को बाँटता है।
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लेकिन Pasmanda समर्थकों का कहना है कि "हमें कोई अलग नहीं कर रहा, हम तो पहले से ही अलग कर दिए गए थे — अब हम सिर्फ़ नाम ले रहे हैं उस भेदभाव का।"
12. Pasmanda Muslims की समस्याएं क्या हैं?
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शिक्षा की भारी कमी
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स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
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सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व लगभग शून्य
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सामाजिक सम्मान की कमी
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धार्मिक संस्थाओं में भी हिस्सेदारी नहीं
13. समाधान क्या है?
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शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट
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Pasmanda युवाओं को नेतृत्व में लाना
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राजनीतिक दलों द्वारा हिस्सेदारी देना
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SC आरक्षण में धर्म आधारित भेदभाव खत्म करना
✅ निष्कर्ष:
Pasmanda Muslim कोई मजहबी विचार नहीं, बल्कि एक सामाजिक न्याय की लड़ाई है।
भारत के अधिकांश मुसलमान गरीब, पिछड़े, मजदूर वर्ग से हैं। Pasmanda आंदोलन का मकसद उन्हें पहचान, सम्मान, अवसर और हक़ दिलाना है — न कि समाज को बाँटना।
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